शनिवार, 2 जुलाई 2011

चलती राहें, रस्मे प्यार ,इल्ज़ामें बेवफाई ,,.......



१.चलती राहें.... 

प्रेम की दुनिया बड़ी निराली होती है,
जैसे इक अबूझ पहेली,
कभी सितम,कभी अश्क,कभी ज़र्द
कभी आँखों में हया,कभी दिल में वफ़ा
भटकता पंछी जो खोया सांझी,
डूबती पतवार जो रोया मांझी,
उगता है सूरज दोनों छोर,
चलती हैं राहें जब साथी हों दोनों ओर!!


२. रस्मे प्यार

रस्में प्यार की सजा बड़ी मजेदार होती है
दर्द दे कर भी नए बसेरे ढूंड लेती है
कभी ज़र्द पत्तों में भी इश्क दिखा देती है
और कभी उजली ज़िन्दगी में गम का सन्नाटा बसा देती है!!


.इल्ज़ामें बेवफाई

थमते अश्कों की बेला,
टूटा जैसे सपनो का रेला,
दिल के ज़ख्मों पर भी मुस्कुरा लेती हूँ,
सर झुका  के हर खता मान लेती हूँ ,
कभी कुछ न मिला तुझसे,
फिर भी इक अरमान बाकी है,
तेरी इल्ज़में बेवफाई ही मिल जाएगी,
इस प्यार में अभी इतनी तो वफ़ा बाकी है!!!!