बुधवार, 1 जून 2011

पहले तो हमारे ब्लॉग पर आने वाले सभी पाठकों को हमारा आभार !!
इश्क के कुछ खट्टे-मीठे एहसासों को दर्शाती क्षणिकाएं पेश कर रही हूँ.........


१.मौसमें - सौगात

इस छोटी सी ज़िन्दगी में बहारे मौसम आ गई,
बहारे मौसम आँचल में समेटे इक सौगात ला गई,
तेरे इश्क का एहसास क्या हुआ
मेरे बेज़ार पड़े दिल में जीने की ललक छा गई !!


२.गिला

आज दिल्लगी हमने कर ली तुझसे,
न जाने कैसी आरज़ू कर लि तुझसे,
तू आया पर जाने के लिए
कुछ खता था तेरे आने का
कुछ गिला तुझे बुलाने का.........

३.प्यार के निशाँ .....

 शायद तुझे पाने की कोशिश करने लगी थी
 जब तेरे ही प्यार में सजने लगी थी,
 इतना चाहा तुझे की खुद को खो चुकी थी
 न होश रहा किस दर्द में लिपटने लगी थी,
जब टूट चुकी थी सारी आस मेरी,
निकले तब तुम मांगने मेरे प्यार के निशाँ
ढूँढ सको तो ढूँढ लेना तेरे अश्कों के एहसासों में हैं
मेरे प्यार के निशाँ ...........

४.खता-तेरी या मेरी....


इक उम्मीद से ही तो सपने बनाये थे,
तू था साथ इसलिए ही तो सजाये थे,
क्या इतनी बड़ी खता थी तुझे तकलीफ न देना सोंचना
की सारे सपनो के साथ घरौंदे भी तोड़ दिए तुने
जो बनाये थे,सजाये थे,मेरी आँखों में खुद तुने !!