मंगलवार, 3 मई 2011

हकीक़त....शायद

एक-एक  कर न जाने कितने बरस गुजर जायेंगे,
एक दिन  हम चुपके से न जाने कब इस दुनिया  से रुक्सत हो जायेंगे
आज हैं आपकी हकीक़त, कल सिर्फ इक नाम बन कर रह जायेंगे!!!:):)

4 टिप्‍पणियां:

  1. अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
    आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |

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  2. ye zindagi ke mele , duniya mein kum na honge
    .....afsos hum na honge .

    khoobsoorat alfaaz !

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