रविवार, 8 मई 2011

MAA....

माँ......

"माँ" ममता,वात्सल्य,प्रेम,निष्ठा और त्याग की है मूरत,
"माँ" तेरे मेरे मन में है भागवान की ही सूरत,
"माँ" हँसना-रोना, आशा-निराशा ज़िन्दगी के हर क्षण की है जरुरत, 
"माँ"दरिंदगी, क्रूरता,निरंकुशता हर दुर्भाव में भी प्रेम देने की है मूरत,
"माँ" के नेह के लिए वक़्त देना बन गया है बोझ जो था कभी जरुरत,
माँ को माँ कहना भी ओल्ड फैशन कहलाने लगा है,
माँ के दिल का मोल भी बच्चा लगाने लगा है,
माँ बस माँ तब तक है जब तक पेट पलती है,
उसका पेट पलना पड़े तो खर्च बढ़ने लगा है,
परिपक्व होती ये दुनिया,दौड़ती ये दुनिया इतनी आगे निकल चुकी है,की
अपने मतलबी परिवेक्ष्य को ढांकने को माँ  के लिए एक दिन भी निर्धारित कर दिया है, 
इस एक दिन हर बच्चा अपनी माँ को देखा-देखि याद कर लेता है,
खुश हो लेता है की उसके पास ये दिन मानाने को वजह तो है
पर ये भूल जाता है ,की
 ...."माँ एक वजह नहीं अपितु वो है
 इस कलियुग में सतयुग की सूरत"......

:) :) हैप्पी मदर्स डे.......टू एवेरी माँ
                                              :) :) :)




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