शनिवार, 4 अक्टूबर 2014

मुद्दतों के बाद आज वक़्त फिर ठहरा है.……


मुद्दतों  के बाद आज वक़्त फिर ठहरा है.…… 

मुद्दतों  के बाद आज वक़्त फिर ठहरा है.……
मंन के अंदर  न जाने मुद्दतों से किसका पहरा है.…
कलम पर नयी ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारियाँ भारी पड़ने लगी थीं.…इक रोज़ जीवन साथी ने याद दिलाया 
"सपनों पे भी कभी किसी का कोई पहरा क्या कभी ठहरा है.…
उठो और अब आगे बढ़ो........ "
तो लीजिये फिर वापस आ गई हूँ "नश्तरे एहसास "को ले कर आभार है आप सबका 
जो इस कलम से जुड़ाव मेरा आज भी इतना गहरा है !!!!

मंगलवार, 27 मार्च 2012

सलाम 

नज़ाकत के साथ मेरे इश्क को संभाला तूने,
मेरी रुसवाई को भी इश्क की खुदाई बनाया तूने,
आज तेरे इश्क को सलाम करती हूँ,
कुछ नहीं और बस तेरा एहतराम करती हूँ!!


उल्फत 


कुछ मसाफ़त ही दर्द की ज़रूरत बन गई,
कुछ मुस्कराहट ही हमारी दुश्मन बन गई,
क्या दोस्ती,क्या दुश्मनी करते किसी से,
ये ज़िन्दगी ही हमारी उल्फत बन गई!!

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

ब्लॉग जगत से जुड़े सभी पाठकों को "नश्तरे एहसास" की तरफ से नव-वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं एवं सभी बड़ों को हमारा "नमस्कार "
नया  रिश्ता 

कुछ ज़िन्दगी सीखाती है कुछ पल,
कुछ लम्हे दे जाते है,
कुछ  यूँ ही जाते हैं फिसल,
कुछ पाकर भी रहते  है विफल ,
कुछ ज़र्रा हो कर भी होते  हैं सफल,
साल दर साल कई बनेगे रिश्ते,
पर टूटे हर रिश्ता भी रहेगा कहीं न कहीं
किसी किसी का हमेशा अटल.....

मंगलवार, 11 अक्टूबर 2011

सभी सुधि पाठकों को मेरा नमस्कार......

कुछ  यूँ.......

वो जाते हुए तेरा धीरे से मुस्कुरा देना,
मुड़-मुड़ कर मुझे देखना और मेरा शर्मा जाना,
वो हर आते तेरे क़दमों पे मेरे दिल का मचल जाना,
तेरे आने पे थाम कर बैठना उन कमज़ोर पड़ती धडकनों को,
गुनगुनाता है अब हर लम्हा तेरे ही इश्क के एहसासों की नज़्म,
ज़िन्दगी खिलती है कुछ यूँ जैसे मनाती हो हर पल हम पर  तेरे ऐतबार का जश्न!!!


शनिवार, 2 जुलाई 2011

चलती राहें, रस्मे प्यार ,इल्ज़ामें बेवफाई ,,.......



१.चलती राहें.... 

प्रेम की दुनिया बड़ी निराली होती है,
जैसे इक अबूझ पहेली,
कभी सितम,कभी अश्क,कभी ज़र्द
कभी आँखों में हया,कभी दिल में वफ़ा
भटकता पंछी जो खोया सांझी,
डूबती पतवार जो रोया मांझी,
उगता है सूरज दोनों छोर,
चलती हैं राहें जब साथी हों दोनों ओर!!


२. रस्मे प्यार

रस्में प्यार की सजा बड़ी मजेदार होती है
दर्द दे कर भी नए बसेरे ढूंड लेती है
कभी ज़र्द पत्तों में भी इश्क दिखा देती है
और कभी उजली ज़िन्दगी में गम का सन्नाटा बसा देती है!!


.इल्ज़ामें बेवफाई

थमते अश्कों की बेला,
टूटा जैसे सपनो का रेला,
दिल के ज़ख्मों पर भी मुस्कुरा लेती हूँ,
सर झुका  के हर खता मान लेती हूँ ,
कभी कुछ न मिला तुझसे,
फिर भी इक अरमान बाकी है,
तेरी इल्ज़में बेवफाई ही मिल जाएगी,
इस प्यार में अभी इतनी तो वफ़ा बाकी है!!!!


बुधवार, 1 जून 2011

पहले तो हमारे ब्लॉग पर आने वाले सभी पाठकों को हमारा आभार !!
इश्क के कुछ खट्टे-मीठे एहसासों को दर्शाती क्षणिकाएं पेश कर रही हूँ.........


१.मौसमें - सौगात

इस छोटी सी ज़िन्दगी में बहारे मौसम आ गई,
बहारे मौसम आँचल में समेटे इक सौगात ला गई,
तेरे इश्क का एहसास क्या हुआ
मेरे बेज़ार पड़े दिल में जीने की ललक छा गई !!


२.गिला

आज दिल्लगी हमने कर ली तुझसे,
न जाने कैसी आरज़ू कर लि तुझसे,
तू आया पर जाने के लिए
कुछ खता था तेरे आने का
कुछ गिला तुझे बुलाने का.........

३.प्यार के निशाँ .....

 शायद तुझे पाने की कोशिश करने लगी थी
 जब तेरे ही प्यार में सजने लगी थी,
 इतना चाहा तुझे की खुद को खो चुकी थी
 न होश रहा किस दर्द में लिपटने लगी थी,
जब टूट चुकी थी सारी आस मेरी,
निकले तब तुम मांगने मेरे प्यार के निशाँ
ढूँढ सको तो ढूँढ लेना तेरे अश्कों के एहसासों में हैं
मेरे प्यार के निशाँ ...........

४.खता-तेरी या मेरी....


इक उम्मीद से ही तो सपने बनाये थे,
तू था साथ इसलिए ही तो सजाये थे,
क्या इतनी बड़ी खता थी तुझे तकलीफ न देना सोंचना
की सारे सपनो के साथ घरौंदे भी तोड़ दिए तुने
जो बनाये थे,सजाये थे,मेरी आँखों में खुद तुने !!

शुक्रवार, 20 मई 2011

kismat....

किस्मत....

 ख्वाहिशों को अन्दाजें बयाँ की जरूरत नहीं होती,
 वादियों को तमन्नाएं आसमां से फुर्सत नहीं होती,
 रुक्सत तो होती हैं हर किसी की डोलियाँ,
 पर हर डोली की किस्मत में ज़िन्दगी खूबसूरत नहीं होती!!