शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

janaaza....

जनाज़ा....

परवान चढ़ा कर इस प्यार को,
यूँ बदल जायेगा तू
शायद ये मुझे मंजूर न था
कल अगर दिख जाये कहीं जनाज़ा हमारा.
तो ये मत कहना ये कसूर न था तुम्हारा!!:(


शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

दर्द का सिला

पलछिन होती हैं ये यादें
जैसे कोई जुगनू,
आती और जाती हैं ये
जैसे कोई खुशबु,
न करना इन पर भरोसा कभी
सिर्फ दर्द का सिला हैं ये क्यूंकि
तेरे टूटे दिल के किसी टुकड़े का गिला हैं ये!!!:(