मुद्दतों के बाद आज वक़्त फिर ठहरा है.……
मुद्दतों के बाद आज वक़्त फिर ठहरा है.……
मंन के अंदर न जाने मुद्दतों से किसका पहरा है.…
कलम पर नयी ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारियाँ भारी पड़ने लगी थीं.…इक रोज़ जीवन साथी ने याद दिलाया
"सपनों पे भी कभी किसी का कोई पहरा क्या कभी ठहरा है.…
उठो और अब आगे बढ़ो........ "
तो लीजिये फिर वापस आ गई हूँ "नश्तरे एहसास "को ले कर आभार है आप सबका
जो इस कलम से जुड़ाव मेरा आज भी इतना गहरा है !!!!
kya baat hai...badhiya...
जवाब देंहटाएंआपका आना सुखद एहसास है ... स्वागत है आपका ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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