मंगलवार, 27 मार्च 2012

सलाम 

नज़ाकत के साथ मेरे इश्क को संभाला तूने,
मेरी रुसवाई को भी इश्क की खुदाई बनाया तूने,
आज तेरे इश्क को सलाम करती हूँ,
कुछ नहीं और बस तेरा एहतराम करती हूँ!!


उल्फत 


कुछ मसाफ़त ही दर्द की ज़रूरत बन गई,
कुछ मुस्कराहट ही हमारी दुश्मन बन गई,
क्या दोस्ती,क्या दुश्मनी करते किसी से,
ये ज़िन्दगी ही हमारी उल्फत बन गई!!

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह.....बहुत सुंदर,बेहतरीन प्रस्तुति....
    आपका समर्थक बन गया हूँ,आप भी बने मुझे खुशी होगी,.और पोस्ट पर पहुचने में सुगमता रहेगी,...आभार

    MY RESENT POST...काव्यान्जलि.....तुम्हारा चेहरा.

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  2. कुछ मुस्कराहट ही हमारी दुश्मन बन गई,
    क्या दोस्ती,क्या दुश्मनी करते किसी से,
    ये ज़िन्दगी ही हमारी उल्फत बन गई!!WAAH...

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  3. आज तेरे इश्क को सलाम करती हूँ
    कुछ नहीं और बस तेरा एहतराम करती हूँ

    क्या बात है ...

    नेहा जी
    नमस्ते !

    और क्या कहने है , बहुत खूब कहा -
    क्या दोस्ती, क्या दुश्मनी करते किसी से
    ये ज़िन्दगी ही हमारी उल्फत बन गई

    यही तो है इश्क-ए-मजाजी से इश्क-ए-हकीकी का सफ़र ...

    मेरी एक ग़ज़ल का मक्ता आपके लिए
    नहीं अपना कोई भी यां पराया भी नहीं कोई
    चलो राजेन्द्र छोड़ो क्या किसी को आज़माना है


    ~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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    1. पोस्ट पसंद की आपने... आभार!! और हमारी तरफ से भी आपको नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं!!

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  4. नेहा बेटा !
    खुश रहो !
    एक लम्बी गैर-हाजरी के बाद आप का अपने ब्लॉग जगत पर बहुत-बहुत स्वागत है !उम्मीद है ! हमेशा की तरह आप के जज्बातों से रु-ब-रु होनेका मौका जल्दी-जल्दी मिलता रहेगा |
    आशीर्वाद और शुभकामनाएँ!

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    1. आपने हमे याद रखा है,ये ही बहुत है हमारे लिए.....बहुत लम्बा वक़्त बीत गया ब्लॉग जगत से दूर रहते हुए.....शायद अब ऐसा ही चलेगा वक़्त की कमी पड़ती जा रही है!!!

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  5. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर आने का और अपने विचारों से अवगत करने का......धन्यवाद !!!

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  6. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ... नेहा जी

    ....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें....!!!!!

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