शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

janaaza....

जनाज़ा....

परवान चढ़ा कर इस प्यार को,
यूँ बदल जायेगा तू
शायद ये मुझे मंजूर न था
कल अगर दिख जाये कहीं जनाज़ा हमारा.
तो ये मत कहना ये कसूर न था तुम्हारा!!:(


शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

दर्द का सिला

पलछिन होती हैं ये यादें
जैसे कोई जुगनू,
आती और जाती हैं ये
जैसे कोई खुशबु,
न करना इन पर भरोसा कभी
सिर्फ दर्द का सिला हैं ये क्यूंकि
तेरे टूटे दिल के किसी टुकड़े का गिला हैं ये!!!:(

शनिवार, 4 दिसंबर 2010

ek aas

एक आस
दोस्ती का एहसास था,
हमारे दिल की  एक आस थी.....
क्यूँ हुआ कुछ ऐसा की आज हमारी
आस ही एहसास बन के रह गयी...........!!

daastaan

दास्ताँ

तुने जो जख्म मुझे दिए हैं
वो तेरे मेरे प्यार के ही सिलसिले हैं
कोई कहीं होगा तेरा भी हमराह
कभी कभी हम बस ये सोचते हैं कि
शुक्र है हम तेरी याद में तो हैं
पर अफ़सोस तेरे लिए हम ना खिले हैं!

अरमाँ

ना गिला रहे ना शिकवा रहे
ज़िन्दगी की उधेड़बुन में, हम यूँ उलझते गए
ना उम्मीदें रहीं ना ख्वाईशें रहीं
खुद उसके अरमानो में डूबते गए
ना होश में रहे ना मदहोश रहे
हम तो बस उस पर मिट ते गए...!!!!