शुक्रवार, 20 मई 2011

kismat....

किस्मत....

 ख्वाहिशों को अन्दाजें बयाँ की जरूरत नहीं होती,
 वादियों को तमन्नाएं आसमां से फुर्सत नहीं होती,
 रुक्सत तो होती हैं हर किसी की डोलियाँ,
 पर हर डोली की किस्मत में ज़िन्दगी खूबसूरत नहीं होती!!

मंगलवार, 17 मई 2011

नसीब......

यूँ मेरा कुछ न कह कर भी कुछ कह जाना,
अपने मन को यूँ कसोट कर खुद को समझाना,
था शायद येही मेरे नसीब में आना 
मेरे सामने था तुझे किसी और को अपना बनाना!!

रविवार, 8 मई 2011

MAA....

माँ......

"माँ" ममता,वात्सल्य,प्रेम,निष्ठा और त्याग की है मूरत,
"माँ" तेरे मेरे मन में है भागवान की ही सूरत,
"माँ" हँसना-रोना, आशा-निराशा ज़िन्दगी के हर क्षण की है जरुरत, 
"माँ"दरिंदगी, क्रूरता,निरंकुशता हर दुर्भाव में भी प्रेम देने की है मूरत,
"माँ" के नेह के लिए वक़्त देना बन गया है बोझ जो था कभी जरुरत,
माँ को माँ कहना भी ओल्ड फैशन कहलाने लगा है,
माँ के दिल का मोल भी बच्चा लगाने लगा है,
माँ बस माँ तब तक है जब तक पेट पलती है,
उसका पेट पलना पड़े तो खर्च बढ़ने लगा है,
परिपक्व होती ये दुनिया,दौड़ती ये दुनिया इतनी आगे निकल चुकी है,की
अपने मतलबी परिवेक्ष्य को ढांकने को माँ  के लिए एक दिन भी निर्धारित कर दिया है, 
इस एक दिन हर बच्चा अपनी माँ को देखा-देखि याद कर लेता है,
खुश हो लेता है की उसके पास ये दिन मानाने को वजह तो है
पर ये भूल जाता है ,की
 ...."माँ एक वजह नहीं अपितु वो है
 इस कलियुग में सतयुग की सूरत"......

:) :) हैप्पी मदर्स डे.......टू एवेरी माँ
                                              :) :) :)




मंगलवार, 3 मई 2011

हकीक़त....शायद

एक-एक  कर न जाने कितने बरस गुजर जायेंगे,
एक दिन  हम चुपके से न जाने कब इस दुनिया  से रुक्सत हो जायेंगे
आज हैं आपकी हकीक़त, कल सिर्फ इक नाम बन कर रह जायेंगे!!!:):)

सोमवार, 2 मई 2011

मयखाना :)

कुछ बहकने को मैखाना बेकरार था,
कुछ एहसासों में मेरे तेरा ही खुमार था
आज मैखाने में मेरे प्यार का पयमाना तुझ
पर छलकने को जवान था,
आज पी कर एहसास हुआ क्यूँ इस मदहोश दिल में तेरा ही अरमान था!!: ): )

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

janaaza....

जनाज़ा....

परवान चढ़ा कर इस प्यार को,
यूँ बदल जायेगा तू
शायद ये मुझे मंजूर न था
कल अगर दिख जाये कहीं जनाज़ा हमारा.
तो ये मत कहना ये कसूर न था तुम्हारा!!:(


शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

दर्द का सिला

पलछिन होती हैं ये यादें
जैसे कोई जुगनू,
आती और जाती हैं ये
जैसे कोई खुशबु,
न करना इन पर भरोसा कभी
सिर्फ दर्द का सिला हैं ये क्यूंकि
तेरे टूटे दिल के किसी टुकड़े का गिला हैं ये!!!:(

शनिवार, 4 दिसंबर 2010

ek aas

एक आस
दोस्ती का एहसास था,
हमारे दिल की  एक आस थी.....
क्यूँ हुआ कुछ ऐसा की आज हमारी
आस ही एहसास बन के रह गयी...........!!

daastaan

दास्ताँ

तुने जो जख्म मुझे दिए हैं
वो तेरे मेरे प्यार के ही सिलसिले हैं
कोई कहीं होगा तेरा भी हमराह
कभी कभी हम बस ये सोचते हैं कि
शुक्र है हम तेरी याद में तो हैं
पर अफ़सोस तेरे लिए हम ना खिले हैं!

अरमाँ

ना गिला रहे ना शिकवा रहे
ज़िन्दगी की उधेड़बुन में, हम यूँ उलझते गए
ना उम्मीदें रहीं ना ख्वाईशें रहीं
खुद उसके अरमानो में डूबते गए
ना होश में रहे ना मदहोश रहे
हम तो बस उस पर मिट ते गए...!!!!